दिल्ली हाईकोर्ट ने विभिन्न क्षेत्रीय हवाई अड्डों पर ‘ग्राउंड हैंडलिंग’ सेवाएं प्रदान करने के लिए निविदाओं में हिस्सा लेने के लिए पात्रता मानदंड में बदलाव की गुरुवार को आलोचना की और कहा कि स्थानीय उद्यमियों को बढ़ावा देने को लेकर केंद्र सरकार का रवैया ‘आडंबर वाला’ है.
हाईकोर्ट ने राजनीतिक नेतृत्व की आलोचना की और कहा कि यह ‘पीड़ादायक’ है कि एक तरफ सरकार ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्म-निर्भर’ होने की बात करती है और दूसरी तरफ वह ऐसी निविदाएं जारी करती है जो छोटी इकाइयों को क्षेत्रीय हवाई अड्डों पर ‘ग्राउंड हैंडलिंग परिचालन’ में शामिल होने से रोकती है.न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने कहा, ‘वास्तव में परेशान यह करता है कि यदि आप वास्तव में इन लोगों (छोटी इकाइयों) को बाहर करना चाहते हैं, तो ऐसा कहें. आप अपनी बातों में आडंबरपूर्ण रवैया नहीं अपनाएं. आपका राजनीतिक नेतृत्व ‘मेक इन इंडिया’ की बात करता है, वे आत्म-निर्भर भारत की बात करते हैं, वे स्थानीय उद्योग को प्रोत्साहित करने की बात करते हैं, लेकिन आपके कार्य आपके शब्दों से मेल नहीं खाते. आप पूरी तरह से आडंबरपूर्ण रवैया अपना रहे हैं.’
पीठ ने केंद्र और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन से कहा कि वह राजनीतिक नेतृत्व से बात करें कि यदि वे इस तरीके से आगे बढ़ना चाहते हैं तो वे ‘मेक इन इंडिया’ पर भाषण क्यों दे रहे हैं. पीठ ने पूछा, ‘क्या उन्हें (राजनीतिक नेतृत्व को) ऐसा होने की जानकारी भी है.’
पीठ ने कहा, ‘हम कह रहे हैं कि इस देश या उस देश से आयात बंद कर दो और दूसरी ओर हम अपने ही उद्यमियों की मदद नहीं कर रहे.’ हाईकोर्ट ने 35 करोड़ रुपये से अधिक के वार्षिक कारोबार और अनुसूचित एयरलाइनों के साथ काम करने के अनुभव जैसे निविदा पात्रता मानदंडों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘आप चाहते हैं कि बड़ी इकाइयां आएं और शायद चाहते हैं
कि विदेशी टाई-अप हों.’अदालत ने कहा कि छोटी इकाइयां क्षेत्रीय हवाई अड्डों पर काम कर सकती थीं जहां अनुसूचित एयरलाइनों की उड़ानें कम या बिल्कुल नहीं हैं और इसलिए, गैर-अनुसूचित या चार्टर्ड एयरलाइनों के साथ ग्राउंड हैडलिंग के उनके अनुभव को नजरअंदाज किया जा रहा है. अदालत ने कहा, ‘यदि आप (केंद्र और एएआई) उन्हें बाहर करना चाहते हैं, तो ऐसा कहें. इसके बारे में आडंबरपूर्ण रवैया नहीं अपनायें. यदि यह आपकी नीति है, तो ऐसा कहने का साहस रखें.