बेटियां घर की रौनक होती है, बेटियां पिता की आंखों का तारा और मां की नन्ही गुड़िया होती है। बेटियों को देवी का रूप माना जाता है। आज यह बात प्रदेश समझने लगा है। लड़कियों को लेकर लोगों की सोच बदलने लगी है। आज देश- विदेश में बेटियां खुब नाम कमा रही है, और अपने देश का नाम रोशन कर रही है। सोच में आए बदलाव के चलते बेटियों को सुरक्षित माहौल मिला है।
उत्तराखंड राज्य में जन्म के समय लिंगानुपात सुधरने की अच्छी खबर आई है। राज्य में अब प्रति एक हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या गत वर्ष 936 के मुकाबले 949 तक पहुंच गई है। उत्तराखंड देश के टॉप दस राज्यों में शामिल हो गया है। उत्तराखंड देश भर में नौंवे स्थान पर आ गया है। जबकि देश के टॉप 30 जिलों में उत्तराखंड के पांच जिले शामिल हुए हैं। टॉप 30 जिलों में बागेश्वर छठे स्थान पर है। जबकि अल्मोड़ा को 13, चंपावत को 22, देहरादून को 24 और उत्तरकाशी को 25वां स्थान मिला है।
उत्तराखंड सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत कई कार्यक्रम संचालित कर रही है, और लोगों को जागरूक कर रही है। जिसके बेहतर परिणाम नजर आने लगे हैं। बेटियों को बचाने के लिए प्रदेशभर में जो अभियान चलाए गए, उनका बेहतर परिणाम दिख रहा है। जिन जिलों ने बालिका लिंगानुपात में शानदार बढोत्तरी हुई है, उन्हें 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर सम्मानित किया जाएगा। वही इस दिशा में और बेहतर कोशिश करनी होगी जिससे उत्तराखंड को और बेहतर स्थान मिले।