राजशाही के जमाने से त्रयोदशी के दिन टिहरी में राज बग्वाल मनाने की परंपरा आज भी कायम है। राजपरिवार के लोग आज भी राज बग्वाल मनाने की परंपरा को को बखूबी निभा रहे हैं। इस बार भी लोगों ने गुरुवार यानि आज पूजा-पाठ और पहाड़ी पकवानों के लजीज व्यंजनों के साथ राज बग्वाल मनाने की तैयारियां जोर शोर से पूरी कर ली है। न राजशाही रही न रजवाड़े फिर भी उनकी बनाई परंपराएं गढ़वाल में आज भी कायम हैं। पूरे देश में एक ही दिन दीपावली मनाई जाती है हैं। पूरे देश में एक ही दिन दीपावली मनाई जाती है, लेकिन टिहरी में राजशाही के दौर से बड़ी दीपावली से दो दिन पूर्व इस त्योहार को मनाया जाता है, जिसे स्थानीय भाषा में राज बग्वाल कहा जाता है। इस दीपावली को स्थानीय भाषा में राज बग्वाल भी कहा जाता है। जिसे केवल डोभाल जाति के लोग मनाते हैं। राजशाही के समय डोभाल लोग राजा के दीवान हुआ करते थे। तब ही राजपरिवार ने उन्हें राज दीपावली मनाने का अधिकार है। तभी से यह परंपरा चली आ रही है। इस बार राज बग्वाल के पर्व पर रामचरित मानस का पाठ किया जाएगा। इसके बाद पहाड़ी व्यंजनों से भगवान को भोग लगाने के बाद राज बग्वाल का पर्व मनाया जाएगा।
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