अब भांग पहाड़ में रोजगार का जरिया बन रहा है। इसके रेशों से शानदार उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। जिससे हस्तशिल्प को बढ़ावा मिल रहा है। प्रदेश में कई जगह भांग की खेती के लिए लाइसेंस भी जारी कर दिए गए। अब भांग से बनी दवाओं को संयुक्त राष्ट्र ने भी मान्यता दे दी है। संयुक्त राष्ट्र के नारकोटिक्स औषधि आयोग ने भांग को दवा के तौर पर ना सिर्फ स्वीकारा है, बल्कि इसे खतरनाक पदार्थों वाली सूची से हटाकर कम खतरनाक वस्तुओं की लिस्ट में भी डाल दिया है। संयुक्त राष्ट्र के नारकोटिक्स औषधि आयोग की सूची-4 में सख्त पाबंदियों वाले मादक पदार्थों को शामिल किया गया है। इस लिस्ट में अफीम और हेरोइन जैसे पदार्थ शामिल हैं। पहले भांग को भी इसी लिस्ट में रखा गया था, लेकिन अब भांग कम खतरनाक मानी जाने वाली लिस्ट में रहेगा। संयुक्त राष्ट्र में इसे लेकर एक ऐतिहासिक मतदान हुआ। जिसके बाद इसे एक दवा के रूप में मान्यता दे दी गई। यूएन के इस फैसले के बाद भांग से बनी दवाओं के इस्तेमाल में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। इसके अलावा भांग को लेकर साइंटिफिक रिसर्च को भी बढ़ावा मिलेगा। भांग में कई औषधीय गुण हैं, आयुर्वेद में भी इसका जिक्र मिलता है। बात करें उत्तराखंड की तो यहां पौड़ी गढ़वाल के अलावा सीमांत जिले चंपावत में भी कानूनी तौर पर भांग की खेती शुरू की गई है।
भांग के औषधीय गुणों को UN की मान्यता, खतरनाक नशे की लिस्ट से हटाया..उत्तराखंड में भांग की खेती से बढ़ रहे हैं रोजगार के अवसर
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