मसूरी-उत्तरकाशी मार्ग पर सुवाखोली से मात्र पांच किमी और मसूरी से 17 किमी दूर समुद्रतल से 6283 फीट की ऊंचाई पर बसा रौतू की बेली गांव वर्तमान में पनीर उत्पादन के लिए चर्चाओं में है। पनीर बेचकर गांव का प्रत्येक परिवार प्रतिमाह 15 हजार से लेकर 35 हजार रुपये तक की आय अर्जित कर रहा है।
रौतू की बेली के प्रधान भाग सिंह भंडारी बताते हैं कि ग्रामीण पहले मसूरी और देहरादून जाकर दूध बेचा करते थे। लेकिन, जब उन्होंने कुछ ग्रामीणों को मसूरी के बाजार में पनीर बेचते देखा तो स्वयं भी इसमें हाथ आजमाना शुरू किया। उनका तैयार किया पनीर मसूरीवासियों को इस कदर भाया कि धीरे-धीरे इसकी मांग बढ़ती चली गई। अब तो ग्रामीणों ने दूध बेचने की जगह पनीर बनाने पर ही अपना पूरा ध्यान केंद्रित कर दिया है।
250 परिवारों वाले इस गांव की आबादी 1500 के आसपास है। गांव के ऊपर बांज, बुरांश, देवदार व चीड़ का घना जंगल है, जो ग्रामीणों को पशुओं के लिए भरपूर चारा उपलब्ध कराता है। यही वजह है कि गांव के 90 फीसद परिवार पशुपालन व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। पनीर उत्पादन से जुड़े रौतू की बेली निवासी पूर्व प्रमुख कुंवर सिंह पंवार बताते हैं कि पहले गांव के 35 से 40 परिवार ही पनीर बनाते थे। लेकिन, अब लगभग सभी परिवार इस व्यवसाय से जुड़ चुके हैं। हर परिवार रोजाना दो से चार किलो तक पनीर तैयार कर लेता है। अब तो गांव के युवा भी रोजगार के लिए शहरों का रुख करने के बजाय पनीर उत्पादन में ही रुचि दिखाने लगे हैं।