बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के निधन से प्रदेश में शोक की लहर है। वो कोरोना संक्रमण से जूझ रहे थे। दिल्ली के एक अस्पताल में बुधवार को देर रात उन्होंने आखिरी सांस ली। मुख्यमंत्री, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा अध्यक्ष ने सल्ट विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के आकस्मिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंंने कहा आज हमने राजनीति एवं समाज की सेवा में अग्रणी रहने वाले एक धरोहर को खो दिया है। व्यक्तित्व के धनी एवं विधायी कार्यवाही के जानकार सुरेंद्र सिंह जीना के निधन की खबर सुनकर शोक स्तब्ध हैं।
50 साल की उम्र में सियासत का जो अंदाज विधायक सुरेंद्र सिंह जीना का रहा, वह नई पीढ़ी के नेताओं के लिए एक मिसाल है। बुनियादी सवालों और कमजोर वर्ग के पक्ष में सदन के भीतर अपनी ही सरकार के खिलाफ खड़े हो जाने का साहस जीना सरीखे नेताओं में ही था। विधानसभा के सभामंडल में कार्यवाही के दौरान उनका चुटीला अंदाज समूचे सदन को गुदगुदा देता था। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उत्तराखंड का ये लोकप्रिय नेता यूं अचानक दुनिया को अलविदा कह देगा। 15 दिन पहले उनकी पत्नी का निधन हुआ था, जिसके बाद से सुरेंद्र सिंह जीना गहरे सदमे में थे। उन्होंने भोजन छोड़ दिया था। बाद में वो कोरोना संक्रमित हो गए। डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बाद भी उनकी जान बच नहीं सकी। सुरेंद्र सिंह जीना का जन्म ताड़ीखेत विकासखण्ड के नैटी गांव में 08 दिसम्बर 1969 को हुआ था। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। साल 1988 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य भी रहे। साल 2001 में उन्होने बीजेपी ज्वाइन की और भिकियासैंण, सल्ट, स्याल्दे क्षेत्र में सामाजिक कार्यों में भागीदारी शुरू कर दी। 51 साल के सुरेंद्र सिंह जीना अल्मोड़ा के भिकियासैंण से साल 2007 में पहली बार चुनाव जीते। परिसीमन के बाद उन्होंने साल 2012 और 2017 में सल्ट विधानसभा से चुनाव लड़ा। दोनों ही बार उन्हें जीत हासिल हुई। बताया जा रहा है कि त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में विस्तार की संभावनाओं के बीच उन्हें मंत्री बनाने की चर्चाएं हो रही थी।