उत्तराखंड के जंगलों में आग ने अपना तांडव मचाया हुआ है। आज भी वनों का महत्व किसी से छिपा नहीं है। सही शब्दों में कहें, तो पृथ्वी पर जीवन जीने के लिए जंगलों का होना बेहद जरूरी है। इन्हीं की वजह से धरती पर बारिश और शुद्ध हवा मिलती है। सबसे जरूरी बात कि जंगल कई जानवर और पक्षियों का घर होता है, और जंगलों में आग लगने से बहुत अधिक नुकसान वन्य जीवों को हो रहा है। वही जंंगलो में आग लगने से अब तक 1291 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हो चुका है। आग लगने से न सिर्फ वन संपदा को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि इंसानों और मवेशियों की जान भी जा रही है। अभी तक जंगलों की आग की घटनाओं में सात जानवरों और चार लोगों की मौत की बुरी खबर सामने आई है।
जंगलों में आग लगने के कारण-
जंगल में आग लगने के मुख्य तीन कारण होते हैं। ईंधन, ऑक्सीजन और गर्मी। अगर गर्मियों का मौसम है, तो सूखा पड़ने पर ट्रेन के पहिए से निकली एक चिंगारी भी आग लगा सकती है। इसके अलावा कभी-कभी आग प्राकृतिक रूप से भी लग जाती है। ये आग ज्यादा गर्मी की वजह से या फिर बिजली कड़कने से लगती है। वैस जंगलों में आग लगने की ज्यादातर घटनाएं इंसानों के कारण होती हैं, जैसे आगजनी, कैम्पफ़ायर, बिना बुझी सिगरेट फेंकना, जलता हुआ कचरा छोड़ना, माचिस या ज्वलनशील चीजों से खेलना आदि। जंगलों में आग लगने के मुख्य कारण बारिश का कम होना, सूखे की स्थिति, गर्म हवा, ज्यादा तापमान भी हो सकते हैं। इन सभी कारणों से जंगलों में आग लग सकती है। लेकिन इस बार तो जंगलों में लगी आग ने हर जगह तांडव मचाया हुआ है।