किसानों का आंदोलन जारी है। शनिवार को किसानों ने देशभर में चक़्का जाम किया। किसानों का यह दूसरा सबसे बड़ा प्रर्दशन है। इससे पहले 26 जनवरी को किसानों ने अपनी मांगों के लिए ट्रैक़्टर रैली निकाली थी। शनिवार को तीन कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे 40 से अधिक किसान संगठनों को देशभर में बुलाया गया और तीन घंटे तक ‘चक्का जाम’ रहा। तीन राज्यों दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चक्का जाम नहीं बुलाया गया था। चक्का जाम का सबसे ज़्यादा असर हरियाणा और पंजाब में दिखाई दिया जहां अधिकतर राज्य और राष्ट्रीय राजमार्ग बंद रहेेेे। पंजाब में नेशनल हाइवे 7 पर टोल बूथ पर किसानों ने क़ब्ज़ा किया। वहीं दक्षिण भारत के कर्नाटक और तेलंगना में पुलिस ने सुबह से ही किसान नेताओं को नज़रबंद करना शुरू कर दिया था। वही बैगंलुरू, हैदराबाद, विजयवाड़ा, कोच्ची और चैन्नई जैसे शहरों में प्रदर्शन हुए। महाराष्ट्र में भी किसान संगठनों ने चक्का जाम में हिस्सा लिया। किसान आंदोलन के समर्थन में शनिवार को तीन घण्टे के चक्के जाम का व्यापक असर पूरे राजस्थान में देखने को मिला। मध्य प्रदेश में कृषि कानूनों को लेकर शनिवार को किये जा रहे किसानों के चक्का जाम को विपक्षी काग्रेंस पार्टी ने भी अपना समर्थन दिया। भोपाल में काग्रेंस नेताओं ने भी बढ़ चढ़ कर चक्काजाम में हिस्सा लिया। उज्जैन में किसानों ने चक्का जाम करके सड़कों पर ट्रैफिक को रोका। वही जबलपुर में भी किसानों ने कुछ वक़्त के लिये चक्का जाम किया। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर दोपहर बाद से गाड़ियों के पहिये थमे रहे। रांची से रामगढ़, हज़ारीबाग, जमशेदपुर, बोकारो सहित अन्य जगहों पर जाने-वाली बसों की लंबी कतार लग गई। इस दौरान बहुत अधिक चक़्का जाम लगा रहा । किसानों का यह दूसरा सबसे बड़ा प्रर्दशन रहा।
6 फरवरी को किसानों ने किया देशभर में चक़्का जाम, किसानों का यह दूसरा सबसे बड़ा प्रर्दशन
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