उत्तराखंड में पांचवें विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं लेकिन इस बार सूबे की सियासत में बदलाव नजर आने लगा है। अब तक के चार विधानसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस के अलावा बसपा और उत्तराखंड क्रांति दल चुनावी बिसात पर मोहरे चलते दिखते थे। चौथे विधानसभा चुनाव में बसपा और उक्रांद का सूपड़ा साफ हो गया। अब पांचवें विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, लेकिन इस बार बदलाव यह है कि इसमें आम आदमी पार्टी की दखलंदाजी महसूस होने लगी है। आप अपने स्टाइल में भ्रष्टाचार को लेकर पब्लिक की नब्ज थामने की कोशिश में है।
बता दे कि अब तक त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में खाली तीन सीट के लिए 45 विधायकों में मारामारी चल रही थी, मगर अब जब उनकी मुराद पूरी होने के नजदीक है, तो एक दर्जन विधायकों ने दावेदारी छोड़ते हुए यू टर्न ले लिया है। दरअसल, ये विधायक अफसरों की मनमानी से इस कदर त्रस्त हैं कि उन्हें लगता है कि डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में मतदाता उन्हें न जाने क्या सबक सिखाएं। पिछले तीन दिन से विधायक हॉस्टल में सुरक्षित शारीरिक दूरी के साथ सिर जोड़कर कई बैठकें कर चुके इन विधायकों का तर्क है कि भला अगले एक-सवा साल के लिए मंत्री बनकर वे कौन सा किला फतह कर लेंगे। इसके उलट वोटर की उम्मीदें मंत्री बनने पर आसमान छूने लगेंगी। डर यह कि इस चक्कर में कहीं पैरों तले जमीन न खिसक जाए।