इन स्कूलों में ज्यादातर वो प्राइवेट स्कूल हैं, जिनकी सालाना फीस 50 हजार तक हैं. एजुकेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की कंपनी Cerestra Ventures के आंकड़ों के मुताबिक देश के करीब 80 फीसदी छात्र इसी फीस स्लैब वाले स्कूल में पढ़ते हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक सेरेस्ट्रा में पार्टनर विशाल गोयल ने बताया-
आखिर क्यों आयी स्कूलों की बिक्री की नौबत
गोयल ने बताया कि, हालात को देखकर यही लगता है कि इन स्कूलों में फंडिंग के आसार भी नहीं के बराबर हैं. इन स्कूलों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. इनमें 30-24 स्कूल हैं, जिनमें केजी से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई होती है. इन स्कूलों में 1,400 करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत है.
बता दें कि कोरोना के चलते देश के तमाम स्कूल मार्च से ही बंद पड़े हैं, बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन चल रही है, बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं तो स्कूल की बिल्डिंग्स भी खाली पड़ी हैं, हालात को सामान्य होने में भी ना जाने कितना वक्त और लग जाएगा, ऐसे में कई स्कूलों के पास अपनी इमारत बेचने के अलावा और कई रास्ता नजर नहीं आ रहा है.