उत्तराखंड भारत के उत्तरी भाग में स्थित एक राज्य है। “उत्तराखंड” नाम का शाब्दिक अर्थ उत्तरी भूमि या संस्कृत में धारा है। उत्तराखंड का उल्लेख प्रारंभिक हिंदू धर्मग्रंथों में केदारखंड, मानखंड और हिमावत के रूप में मिलता है। यह अक्सर अपने विभिन्न पवित्र स्थानों और मंदिरों के कारण देव भूमि कहलाती है। इस राज्य की चोटियों और घाटियों को देवी-देवताओं के निवास के रूप में जाना जाता था। उत्तराखंड को इसका श्रेय हिंदुओं के कुछ पवित्र तीर्थस्थानों को जाता है। यह गंगा नदी का उद्गम स्थल था। कुषाण साम्राज्य, कुडिंया, कनिष्क, समुद्रगुप्त, पौरव, कत्यूर, पाला राजवंश, चंद्र और पवार और अंग्रेजों ने उत्तराखंड पर शासन किया।
उत्तराखंड आधुनिक काल:
उत्तराखंड के आधुनिक काल के इतिहास में गोरखा शासन तथा ब्रिटिश शासन का उल्लेख मिलता है।
गोरखा शासन:
गोरखा नेपाल के थे , गोरखाओ ने चन्द राजा को पराजित कर 1790 में अल्मोड़ा पर अधिकार कर लिया। कुमाऊॅ पर अधिकार करने के बाद 1791 में गढ़वाल पर आक्रमण किया लेकिन पराजित हो गये और फरवरी 1803 को संधि के विरुद्ध जाकर गोरखाओं ने अमरसिंह थापा और हस्तीदल चौतारिया के नेतृत्व में पुन: गढ़वाल पर आक्रमण किया और सफल हुए। 14 मई 1804 को गढ़वाल नरेश प्रधुम्न्ना शाह और गोरखों के बीच देहरादून के खुडबुडा मैदान में युद्ध हुआ और गढ़वाल नरेश शहीद हो गए। 1814 ई. में गढ़वाल में अंग्रेजो के साथ युद्ध में पराजित हो कर गढ़वाल राज मुक्त हो गया, अब केवल कुमाऊॅ में गोरखाओं का शासन रह गया। कर्नल निकोल्स और कर्नल गार्डनर ने अप्रैल 1815 में कुमाऊॅ के अल्मोड़ा को व जनरल ऑक्टरलोनी ने 15, मई 1815 को वीर गोरखा सरदार अमर सिंह थापा से मालॉव का किला जीत लिया। 27 अप्रैल 1815 को कर्नल गार्डनर तथा गोरखा शासक बमशाह के बीच हुई संधि के तहत कुमाऊॅ की सत्ता अंग्रेजो को सौपी दी गई। कुमाऊॅ व गढ़वाल में गोरखाओं का शासन काल क्रमश: 25 और 10.5 वर्षों तक रहा।जो बहुत ही अत्याचार पूर्ण था इस अत्चयारी शासन को गोरख्याली कहा जाता है।
ब्रिटिश शासन:
अप्रैल 1815 तक कुमाऊॅ पर अधिकार करने के बाद अंग्रेजो ने टिहरी को छोड़ कर अन्य सभी क्षेत्रों को नॉन रेगुलेशन प्रांत बनाकर उत्तर पूर्वी प्रान्त का भाग बना दिया, और इस क्षेत्र का प्रथम कमिश्नर कर्नल गार्डनर को नियुक्त किया। कुछ समय बाड़ कुमाऊँ जनपद का गठन किया गया और देहरादून को 1817 में सहारनपुर जनपद में सामिल किया गया। 1840 में ब्रिटिश गढ़वाल के मुख्यालय को श्रीनगर से हटाकर पौढ़ी लाया गया व पौढ़ी गढ़वाल नामक नये जनपद का गठन किया।1854 में कुमाऊँ मंडल का मुख्यालय नैनीताल बनाया गया। 1891 में कुमाऊं को अल्मोड़ा व नैनीताल नामक दो जिलो में बाँट दिया गया, और स्वतंत्रता तक कुमाऊॅ में केवल 3 ही ज़िले थे (अल्मोड़ा, नैनीताल, पौढ़ी गढ़वाल) और टिहरी गढ़वाल एक रियासत के रूप में थी। 1891 में उत्तराखंड से नॉन रेगुलेशन प्रान्त सिस्टम को समाप्त कर दिया गया। 1902 में सयुंक्त प्रान्त आगरा एवं अवध का गठन हुआ और उत्तराखंड को इसमें सामिल कर दिया गया| 1904 में नैनीताल गजेटियर में उत्तराखंड को हिल स्टेट का नाम दिया गया।