उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मंगलवार को सियासी दांव चलकर हर की पैड़ी मामले की गेंद अब त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के पाले में फेंक दी है। हरीश रावत ने हरिद्वार में अखाड़ा परिषद पहुंचकर 2016 में हुए आदेश को लेकर अपनी गलती स्वीकार की।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एनजीटी ने गंगा तट से 200 के मीटर के दायरे में निर्माण ध्वस्त करने का आदेश दिया था। इससे हरिद्वार के तमाम भवनों पर ढहने का संकट आ गया था। तमाम लोगों ने इससे बचाव का रास्ता निकालने का आग्रह किया है। इस पर मेरी सरकार ने फैसला किया कि इन भवनों को बचाने के लिए मां गंगा के प्रवाह को एक तकनीकी नाम (गंगनहर) दे दिया जाए। इस आदेश से ध्वस्तीकरण तो रूक गया। लेकिन उससे भावनात्मक गलती हो गई। मां गंगा जहां भी जिस रूप में हैं वो गंगा ही हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हर की पैड़ी मामले में गलती को स्वीकार किया और जानिए त्रिवेंद्र रावत से की क्या गुज़ारिश की
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