भारत में कोरोना टीकाकरण अभियान तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है। सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में यह टीका लगाया जा रहा है। वही कोरोना संक्रमण ने फिर से देश में अपनी दस्तक दे दी है। सभी राज्यों से कोरोना संक्रमित हुए अधिक मामले सामने आने लगे हैं। वही डेनमार्क में किए गए रिसर्च के दौरान यह खुलासा हुआ है कि 65 साल से कम उम्र कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों को कम से कम 6 महीने तक दोबारा संक्रमण से 80 फीसद सुरक्षा मिलती है, मगर 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में सुरक्षा का फीसद सिर्फ 47 होता है। जिसमें बुजुर्गों को वायरस की चपेट में दोबारा आने का खतरा अधिक है। कोरोना वायरस से उबर चुके बूढ़े लोग नहीं मान सकते कि उनको दूसरे हमले से सुरक्षा मिल गई है। जिससे इस बात का विशेष ध्यान रखना जरूरी है कि बुजुर्गों के साथ सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। शोध में खुलासा हुआ है कि सामान्य रूप में मरीजों को एक बार बीमार होने के बाद दोबारा संक्रमण से सिर्फ 80 फीसद सुरक्षा मिलती है और ये घटकर 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को 47 फीसद रह जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे पता चलता है कि किन लोगों को टीकाकरण में प्राथमिकता दिए जाने की जरूरत है, क़्योकि कोरोना वैक़्सीन से बुजुर्गों को खतरा अधिक हो सकता है।
डेनमार्क में किए गए रिसर्च के दौरान यह खुलासा हुआ कि किन लोगों को होता है कोरोना संक्रमण से दोबारा खतरा
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