उत्तराखंड में पर्यटन स्थलों में इजाफा होने लगा है। बड़ी संख्या में बाहर राज्यों से लोग उत्तराखंड की वादियों को देखने आते है। बाॅलीवुड सेलीब्रिटी भी उत्तराखंड की वादियों में फिल्म की शूटिंग के लिए आते हैं। अब हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के एशियाई हाथी, टाइगर और जैव विविधता के लिए पहचान रखने वाले राजाजी टाइगर रिजर्व की गौहरी रेंज में स्थित चौरासी कुटी की। जो आजकल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। कोरोना काल में सात माह तक चौरासी कुटी में भी गतिविधियां बंद रही, लेकिन अनलॉक की प्रक्रिया में चौरासी कुटी को खोले जाने के बाद बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आ रहे हैं।
राजाजी टाइगर रिजर्व की गौहरी रेंज में स्वर्गाश्रम क्षेत्र से जुड़ी चौरासी कुटी को ठीक एक वर्ष पूर्व आठ अक्टूबर को आम जनता के दर्शनार्थ और नेचर ट्रेल के लिए खोला गया था। सत्तर के दशक में भावातीत ध्यान योग के प्रेणता महर्षि महेश योगी ने यहां शंकराचार्य नगर की स्थापना की थी। ध्यान व योग के लिए विश्व प्रतिष्ठित इस आश्रम को चौरासी कुटी के नाम से भी ख्याति मिली। अस्सी के दशक में राजाजी नेशनल पार्क की स्थापना के साथ ही यहां गतिविधियों पर विराम लग गया और वर्ष 1984 में यह पूरा क्षेत्र वीरान हो गया। तमाम प्रयासों के बाद करीब तीस वर्ष बाद 2015 में आठ दिसंबर को चौरासी कुटी को आम जनता के लिए खोला गया। इसके साथ ही राजाजी टाइगर रिजर्व की किस्मत भी खुल गई और एक वर्ष में ही यहां 9985 पर्यटक पहुंच गए। इन पर्यटकों से अब तक पार्क को 19 लाख 80 हजार 550 रुपये की आय हो चुकी है। यह पार्क को पर्यटकों से होने वाली कुल आय का 20 प्रतिशत है।
जाने चौरासी कुटी में क़्या है खास-
करीब 18 एकड़ क्षेत्र में विस्तारित इस नगर में वास्तुकला की बेजोड़ कारीगरी देखने को मिलती है। यहां आश्रम भवन, योग हॉल व मुख्य भवन के अलावा 84 गुंबदनुमा कुटिया बनी हुई हैं। यह सभी निर्माण वास्तुकला के अद्भुत नमूने हैं। शंकराचार्य नगर में जल संरक्षण के भी शानदार उपाय किए गए हैं। इसके अलावा यहां विविध वनस्पतियों का संगम व रंग-बिरंगे पक्षियों व तितलियों का संसार मौजूद है।