पहाड़ों की गोद में बसा उत्तराखंड अपनी खूबसूरती और अपने सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है लेकिन बढ़ते पर्यटन के कारण उत्तराखंड की खूबसूरती पर उसके दुष्प्रभाव भी पड रहे हैं । वन अनुसंधान शाखा के विशेषज्ञ ने इस दुष्प्रभाव को रोकने के लिए बुग्याल ऊपर पर्यटकों की लगातार बढ़ रही आवाजाही का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाएगा । वैज्ञानिक अध्ययन में सबसे पहले चरण में चोपता और तुंगनाथ क्षेत्र के विद्यालयों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा ।
वन अनुसंधान शाखा के निर्देशक तथा मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी का कहना है बुग्यालो की स्थितियां बेहद खराब है ऐसे में मुगलों का नए सिरे से अध्ययन करना बेहद आवश्यक है । मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी के अनुसार बुग्याल उच्च हिमालई क्षेत्र में 3000 से 4000 मीटर की ऊंचाई पर पाए जाने वाले हरे घास के मैदान है । मानसून के दौरान उच्च हिमालई क्षेत्र के इन मैदानों में नयी घास आ जाती है । लेकिन पर्यटन की दृष्टि से यदि देखा जाए तो उत्तराखंड में बढ़ रही पर्यटकों की आवाजाही का असर उत्तराखंड में मौजूद बुग्यालो पर भी पड रहा है ।
राज्य में बेदनी, औली, चैनशील, चेनाप, चोपता, दयारा, देवबंद, देवक्यारा, गिडारा, रोहिणी आदि बुग्याल है ।