तीन जिलों की सीमाओं से जुड़े प्रदेश के सबसे बड़े नौरादेही अभयारण्य में बाघों के बाद अब अफ्रीकन चीतों का भी आशियाना भी बनने वाला है। दो साल पहले शुरू हुई इस प्रक्रिया को अब मूर्त रूप दिया जा रहा है। हाल ही में देहरादून की एक टीम जंगल का सर्वे करने आ चुकी है और ऐसा माना जा रहा है कि कुछ ही माह में यहां अफ्रीकन चीते भी पहुंच जाएंगे। चीतों को अनुकूल वातावरण देने के लिए जंगल में बड़ी घास उगाई जा रही है और करीब एक हजार हिरण भी जंगल में छोड़े जा चुके है, ताकि बाघों के साथ यहां आने वाले चीतों को शिकार के दौरान आसानी से भोजन मिलता रहे। देश में 1954 में चीता पूरी तरह विलुप्त हो गया था इसलिए भारत में दूसरे देश से चीता लाने से जुड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट में है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी किया है, जिसके तहत देश के पांच अभयारण्य में जाकर जांच करने के लिए कहा गया है। इसी सिलसिले में दो दिन पूर्व नौरादेही अभयारण्य में देहरादून की एक टीम पहुंची, जिसने पूरे अभयारण्य का भ्रमण किया और यहां के वातावरण को जाना। ऐसा इसलिए, क्योंकि जिन अफ्रीकन चीतों को यहां लाने की योजना है, उनके लिहाज से यहां का वातावरण कैसा है, इसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की जाएगी। अभी यह प्राथमिक सर्वे है इसके बाद तय होगा कि चीता कहां और कब आएगा।
नौरादेही अभयारण्य में बाघों के बाद अब अफ्रीकन चीतों का भी आशियाना बनने की तैयारी
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