उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए पूरे देश विदेश में लोकप्रिय है। वही अब उत्तराखंड में पेड़ों को काटकर कई प्रोजेक्ट तैयार किए जा रहे हैं। चारधाम प्रोजेक्ट पर 56 हजार पेड़ काटे जा चुके हैं। वही 36 हजार पेड़ और काटे जाने है। जिससे पहाड़ के लिए नया खतरा भी सामने आ रहा है। करीब बीस साल पहले तक केदारनाथ की खुब प्रचलित गुफा में एक माई रहती थीं, जो सांसारिक जीवन त्याग चुकी थीं। आज वह पूरा इलाका ऐसे बाजार में बदल चुका है, जहां इस गुफा की भी एडवांस बुकिंग होने लगी है। इस गुफा में अब बिजली की व्यवस्था है, बिस्तर लगा है। गर्म पानी के लिए गीजर है और साथ ही एक अटैच टॉयलेट-बाथरूम भी बना दिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर वायरल होने के बाद से इस गुफा में रहने वाले पर्यटकों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि लोग दो-दो महीने पहले ही इसकी बुकिंग करवाने लगे हैं। हिमालय के केदारनाथ जैसे ऊंचे पर्वतीय इलाकों में इस तरह के निर्माण और इंसानी दखल बेहद खतरनाक है। लेकिन, ऐसे निर्माण बड़े पैमाने पर हो रहे हैं। चमोली में आई भीषण आपदा के बाद पहाड़ में बन रहे बड़े पैमानों के प्रोजेक्ट्स पर बहुत से सवाल खड़े होते हैं। इस तरह से होने वाले बदलावों से पहाड़ पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है। जिसका खामियाजा हम इंसानों को भुगतना पड़ेगा।
उत्तराखंड में चारधाम प्रोजेक्ट के लिए काटे गए 56 हजार पेड़, और 36 पेड़ शेष, बडे़ प्रोजेक्ट पहाड़ के लिए खतरा न हो साबित
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