हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि की 10 सितंबर से प्रस्तावित स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं के फाइनल सेमेस्टर की परीक्षा में 41 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं शामिल होंगे। इनमें से पांच हजार से अधिक छात्र-छात्राएं बाहरी राज्यों से हैं। विवि ने इसके लिए 135 परीक्षा केंद्र बनाए हैं।
गढ़वाल मंडल के सात जिलों के विभिन्न शहरों में निर्धारित परीक्षा केंद्रों में से अधिकांश केंद्रों पर जम्मू-कश्मीर, नार्थ ईस्ट के राज्यों, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, राजस्थान आदि राज्यों के छात्र पंजीकृत हैं। परीक्षा देने के लिए विभिन्न केंद्रों पर आने वाले छात्र-छात्राओं के लिए व्यवस्थाएं जुटाना विवि के लिए चुनौती बनी हुई है। इसके लिए विवि को राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 की मानक संचालन प्रक्रिया(एसओपी) का बेसब्री से इंतजार है। विवि की ओर से मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन को इस बावत गत 10 अगस्त को पत्र भी भेजा गया है। लेकिन अभी तक शासन स्तर से विवि को कोई दिशा-निर्देश न मिलने से विवि अपनी तैयारियों को अंतिम रूप नहीं दे पा रहा है। इससे छात्रों में भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। विवि के कुलसचिव प्रो. एनएस पंवार का कहना है कि अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाओं को लेकर राज्य सरकार द्वारा जारी की जाने वाली एसओपी का इंतजार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एसओपी के अनुसार विवि को अपनी व्यवस्थाएं भी बनानी हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए मुख्य सचिव को पत्र भेजा गया है।
ई-पास की व्यवस्था करे सरकार
श्रीनगर। गढ़वाल विवि प्रशासन द्वारा मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में यह कहा गया है कि अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाओं को देखते हुए परीक्षार्थियों हेतु को ऑनलाइन प्रवेश पत्र जारी किए जाने हैं। साथ ही आईसीएमआर प्रमाणित प्रयोगशाला से कोविड-19 की जांच 72 घंटे पहले करवानी है। रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही परीक्षार्थियों को परीक्षा में शामिल होने दिया जाएगा। इसको देखते हुए बाहरी राज्यों से आने वाले परीक्षार्थियों को राज्य में प्रवेश हेतु ई-पास की व्यवस्था करने का राज्य सरकार से अनुरोध किया गया है।
छात्रों के सामने आएगी रहने और खाने की दिक्कतें
श्रीनगर। गढ़वाल विवि में बाहरी राज्यों व अन्य जिलों के छात्र-छात्राएं लॉकडाउन के बाद किराया के कमरों को छोड़कर अपने घरों को चले गए थे। जिससे वर्तमान स्थिति में कई छात्रों के पास रहने की व्यवस्था नहीं है। विवि स्तर से भी छात्रों के लिए रहने एवं खाने-पीने की व्यवस्था करना संभव नहीं है। ऐसे में छात्रों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। विवि ने सरकार से छात्रों की इस समस्या के समाधान के लिए व्यवस्थाए बनाए जाने का अनुरोध भी किया है।