सीमांत जनपद में यूं तो आपदा हर साल आती है। कुछ लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है तो कई लोग अपना घर, संपत्ति इसमें गंवा देते हैं।
लगातार हो रही इन घटनाओं के बावजूद शासन-प्रशासन ने इनसे कोई सबक नहीं सीखी। आपदा की दृष्टि से संवेदनशील गांव के ग्रामीण विस्थापन के इंतजार में बैठे है।
धारचूला मुनस्यारी में बीते 22 साल में बादल फटने की 13 घटनाएं सामने आई हैं। जिसमें 350 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। सीमांत जनपद आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है।
100 से अधिक गांवों को संवेदनशील की श्रेणी में रखा गया हैं। बादल फटने की घटनाएं अक्सर सामने आती रहती हैं। वर्ष 1998 की मालपा में हुई घटना ने भारी तबाही मचाई थी।
इस घटना में कैलाश मानसरोवर यात्रियों सहित 207 लोगों की मौत हो गई थी। 11 साल बाद वर्ष 2009 में बादल फटने की दो घटनाएं सामने आई।
मुनस्यारी के ला झेकला में बादल फटने से 47 लोग मारे गए। जबकि बरम में हुए हादसे में 15 लोग मौत की नींद सो गए थे। वर्ष 2014 और 2015 में धारचूला में बादल फटने से 28 में लोग असमय काल के गाल में समा गए।
वर्ष 2016 में एक बार फिर प्रकृति ने अपना कहरा बरपाया। डीडीहाट क्षेत्र के बस्तड़ी गांव में आई आपदा ने 21 लोगों का जीवन निगल लिया।
भारत-चीन सीमा पर स्थित दुंगदुंग और मालपा में वर्ष 2017 को बादल फटने से छह सेना के जवान सहित 25 से अधिक लोगों की मौत हुई।
वर्ष 2018 में भी मुनस्यारी, बंगापानी और धारचूला में बादल फटने की घटनाएं हुईं। धारचूला में नाला ऊफान पर आने से एक ही परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गई थी।
वर्ष 2019 में नाचनी के भैंसखाल में बादल फटने की घटनाएं सामने आई। जिसमें एक व्यक्ति की मौत हुई थी। इसके अलावा पहाड़ियों से पत्थर, मलबा गिरने की घटनाएं आए दिन सामने आती है।
6 साल से बादल फटने की लगातार हो रही घटनाएं: पिथौरागढ़। जनपद के धारचूला, मुनस्यारी में बीते छह साल से बादल फटने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। वर्ष 2014 के बाद जनपद में प्रत्येक वर्ष आपदा आई है। इससे क्षेत्र में भारी तबाही मचा रही है।
विस्थापन की मांग नहीं हुई पूरी
पिथौरागढ़। धारचूला, मुनस्यारी के कई परिवार आपदा की मार झेल रहे हैं। ग्रामीण कई सालों से विस्थापन की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
मुनस्यारी विकासखंड के कुलथम के 17, ढीलम के नौ, धापा के 26, ढुम्मर के 23, सैनड के 14, पापडी के 21 परिवार, भंडारीगांव के 14, नाचनी नया बस्ती के 16 व राय बजाता के 14 परिवारों का विस्थापन नहीं करा पाया है।
छलमाछिलासो, जुम्मा तुला तोक, तवाघाट, बुंगबुंग, सिमखोला, छोरीबगड़, सिनियाखोला, खेत के छयारी तोक के कई परिवार भी विस्थापन का इंतजार है।
पिथौरागढ़ जिले में बादल फटने की घटनाएं
वर्ष मृतकों की संख्या
1998 207
2009 62
2014 11
2015 17
2016 21
2017 25
2018 03
2019 01
2020 03
कुल 350 मौत