यह घटना पौड़ी गढ़वाल रिखणीखाल के प्राथमिक हेल्थ सेंटर की है जहाँ 23 साल की स्वाति ध्यानी ने एक मृत बच्चे को जन्म दिया। इसके बाद से ही स्वाति की स्तिथि बिगड़ती गई और उसे जब तक कोटद्वार अस्पताल ले जाया गया तो उसे बचाया नहीं जा सका। डाक्टरों का कहना था कि अत्याधिक रक्तस्राव होने के कारण स्वाति की मौत हुई है। स्वाति के परिजनों का कहना है कि पीएचसी रिखणीखाल में उसे न तो अच्छा इलाज मिला और न समय पर उसे रेफर किया गया। स्वाति की मौत अकेली और पहली मौत नहीं है। पर्वतीय जिलों में लचर स्वास्थ्य सुविधाओं और रक्त की कमी के कारण हर साल स्वाति जैसी दर्जनों गर्भवती महिलाएं या प्रसूताएं असमय ही मौत का शिकार हो जाती हैं। अपने पहले बच्चे को देखने की हसरत में स्वाति ने बच्चा तो गंवाया ही साथ ही अपना जीवन भी खो दिया।
अब सवाल यह खड़ा होता है कि स्वाति ध्यानी की मौत का जिम्मेदार कौन है? इसका सीधा और साफ़ जवाब है लाचार स्वास्थ्य सेवाएं। आखिर कबतक सिस्टम में बदलाव आएंगे और स्वाति जैसी कई महिला जिसने अपने जान गवाए है यह बंद होगा? जनप्रतिनिधियों को इसकी परवाह नहीं है और हम इस लाचार व्यवस्था के लिए उन्हें जिम्मेदार भी नहीं मानते, जबकि इन प्रतिनिधियों को तो जवाबदेह होना चाहिए।